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GST क्या है ? GST से सम्बंधित 10 महत्वपूर्ण बातें

GST क्या है | GST से सम्बंधित 10 महत्वपूर्ण बातें

दोस्तों, इस आर्टिकल में GST क्या है, पूरी जानकारी दी गयी है। साथ ही GST से सम्बंधित 10 महत्वपूर्ण बातें भी बताई गयी है। जो सभी को जानना चाहिए।

GST क्या है ? (GST Kya Hai)

Goods & Service Tax एक अप्रत्यक्ष कर है। सामानों तथा सेविसेस पर लगने वाले कर को पहले वैट कहते थे, अभी नए कानून के हिसाब से उसे GST कहते हैं। यह कर केंद्र सरकार के द्वरा संचयित किया जाता है। यह भारत में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के साथ-साथ अन्य देशों से आयातित एक व्यापक कर है।

वर्षों के विचार-विमर्श के बाद, 1 जुलाई, 2017 को नई कर व्यवस्था लागू हुई – अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने first time वर्ष 2000 में इसका सुझाव दिया। GST क्या है अब आप समझ गए होंगे

GST का अर्थ क्या है ? (GST Meaning in hindi)

GST का अर्थ इसके नाम से ही निकल रहा है जैसा की आप समझ सकते हैं -GST मतलब Goods and ServiceTax होता है। GST क्या है, इसे हिन्दी में माल एवं सेवा कर कहते हैं। कोई भी माल की खरीद और कोई सेवा के उपयोग पर इस टैक्स को चुकाना होता है।

GST के प्रकार ( Types of Gst in hindi)

भारत में GST 4 प्रकार के होते हैं। ( 4 प्रकार के GST क्या है )

S.No.Types of GSTShort introduction
1CGST (केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर )इसके द्वारा वसूला गया कर केंद्र को जायेगा।
2SGST ( राज्य वस्तु एवं सेवा कर )इसके द्वारा वसूला गया कर राज्य को जायेगा।
3IGST ( एकीकृत वास्तु एवं सेवा कर )यह कर केंद्र द्वारा वसूला जायेगा पर यह केवल एक राज्य से दुसरे राज्य में माल या सेवाएँ भेजने पर ही लगेगा, या फिर विदेशों से व्यापार करने पर।
4UTGST ( यूनियन टेरिटरी वस्तु एवं सेवा कर )यह टैक्स देश के 7 केंद्र शासित राज्यों में लागू है।
Types of Gst in hindi

कुल चार प्रकार के GST विस्तार में समझिये –

  1. केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) – सीजीएसटी को एक राज्य के भीतर होने वाली वस्तुओं और सेवाओं के लेनदेन पर लगाया जाने वाला केंद्रीय कर कहा जाता है। केंद्र सरकार द्वारा लागू, CGST राज्य कर, CST, SAD, आदि सहित अन्य सभी केंद्रीय करों को प्रतिस्थापित करना सुनिश्चित करता है। CGST के तहत वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें मूल बाजार मूल्य के अनुसार ली जाती हैं।
  2. राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी)– SGST को प्रत्येक राज्य की वस्तुओं और सेवाओं के लेनदेन पर लगाए गए दो करों में से एक के रूप में परिभाषित किया गया है। हर राज्य की राज्य सरकार द्वारा लगाया जाने वाला, SGST हर तरह के मौजूदा राज्य कर की जगह लेता है जिसमें बिक्री कर, मनोरंजन कर, वैट, प्रवेश कर आदि शामिल हैं। SGST के तहत, राज्य सरकार अर्जित राजस्व का दावा कर सकती है।
  3. एकीकृत माल और सेवा कर (IGST) – IGST वस्तुओं और सेवाओं के अंतरराज्यीय लेनदेन पर लागू होता है। IGST उन सामानों पर भी लागू होता है जिन्हें संबंधित राज्यों में वितरित करने के लिए आयात किया जाता है। IGST तब लगाया जाता है जब उत्पादों और सेवाओं की आवाजाही एक राज्य से दूसरे राज्य में होती है।
  4. केंद्र शासित प्रदेश माल और सेवा कर (UTGST) – वस्तुओं और सेवाओं की इंट्रा यूटी आपूर्ति पर लागू, यूटीजीएसटी लगाने का उद्देश्य एसजीएसटी के समान लाभ प्रदान करने के लिए कर का संग्रह लागू करना है। UTGST पांच केंद्र शासित प्रदेशों लक्षद्वीप, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और चंडीगढ़ पर लागू है।

भारत में GST कब लागू हुआ ?

वाजपेयी सरकार ने वर्ष 2000 में जीएसटी पर बातचीत शुरू की और पश्चिम बंगाल सरकार के वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। 2006-07 के बजट में समिति को जीएसटी मॉडल को डिजाइन करने और इसके रोल -आउट के लिए आईटी बैक-एंड तैयारियों का प्रबंधन करने की जिम्मेदारी दी गई थी।

केंद्रीय वित्त मंत्री श्री पी चिदंबरम ने 1 अप्रैल, 2010 तक माल और सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने का प्रस्ताव रखा। राज्य के वित्त मंत्रियों की समिति ने हालांकि, नवंबर, 2009 में कर व्यवस्था पर अपना पहला चर्चा पत्र जारी किया ! आखिरकार वर्षों के विचार-विमर्श के बाद, भारत में 1 जुलाई, 2017 को नई कर व्यवस्था (GST) लागू हुई ।

GST की विशेषताएं

अगर GST की विशेषताएं कि बात करें तो यह हर पक्ष के लिए लाभकारी है। GST वह कर व्यवस्था है जो कि पूरे देश में एकल कर व्यवस्था की स्थापना करता है। इसके तहत 8 केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं 9 राज्य स्तरीय अप्रत्यक्ष कर को जीएसटी में मर्ज कर दिया गया। जिसमें केन्द्रीय उत्पाद कर, सेवा कर, केन्द्रीय बिक्री कर, मूल्य वर्धित कर, सीमा शुल्क, चुंगी इत्यादि प्रमुख है।

मैंने आपको यह सब पहले बताया है। कुछ अपवादों को छोड़कर करों के चार स्तर है; 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के तहत सभी वस्तुओं और सेवाओं को लाया है जिससे कि पूरे देश के करों में एकरूपता आयी और इससे एक ही वस्तु के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग मूल्यों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जीएसटी ने एक देश एक कर (One nation one tax) की अवधारणा को सुनिश्चित किया है।

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GST के चार प्रकार भी अपने आप में विशेषता ही है जो कि पहले कभी नहीं देखा गया। मानव उपभोग हेतु अल्कोहल को संवैधानिक रूप से जीएसटी से बाहर रखा गया है, यानी कि इसे जीएसटी के तहत नहीं लाया जा सकता है। सिर्फ इसे छोड़कर जीएसटी में सभी प्रकार की वस्तुएँ और सेवाएँ शामिल हैं। पाँच पैट्रोलियम उत्पाद (कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, एटीएफ़ (विमान फ्युल) एवं प्राकृतिक गैस) अस्थायी रूप से जीएसटी से बाहर हैं। जब तक जीएसटी काउंसिल की सिफ़ारिश नहीं होगी तब तक इन्हे जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जा सकता है।

इसके साथ डिजिटल विषेशता पर गौर करें तो, जीएसटी अनुपालन में तेजी आएगी क्योंकि सभी रिटर्न ऑनलाइन भरे जाएँगे, इनपुट क्रेडिट का सत्यापन भी ऑनलाइन होगा और आपूर्ति शृंखला के प्रत्येक पड़ाव पर हुए लेनदेन का कागजी प्रमाण रखा जाएगा।

करदाताओं के पंजीकरण और करों की वापसी की एक समान प्रक्रिया, कर रिटर्न के एक समान प्रारूप, एक समान कर आधार, वस्तुओं एवं सेवाओं के वर्गीकरण की साझा व्यवस्था से कराधान प्रणाली में अधिक निश्चिंता आएगी।

सूचना प्रौद्योगिकी के अधिक प्रयोग से करदाता एवं कर अधिकारियों के बीच व्यक्तिगत संपर्क कम हो जाएगा, जिससे भ्रष्टाचार कम करने में बहुत मदद मिलेगी और व्यवस्था में पारदर्शिता आ पाएगी।

जीएसटी (GST) के लाभ

व्यापार और उधोग के लाभ : पहले के अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में होने वाले करों के दोहराव को जीएसटी की मदद से खत्म किया जा सकेगा, इससे कर देने के प्रति व्यापारियों में उत्साह आएगा। करों का बोझ कम होगा क्योंकि आपूर्ति के प्रत्येक चरण पर सभी वस्तुओं एवं सेवाओं में इनपुट टैक्स क्रेडिट मिल जाएगा। डिजिटल व्यवस्था होने के कारण इसके अनुपालन का खर्च कम होगा एवं विभिन्न प्रकार के करों के लिए अनेक रिकॉर्ड नहीं रखने होंगे।

उपभोक्ता के लाभ : विनिर्माताओं, खुदरा विक्रेताओं एवं सेवा प्रदाताओं के बीच इनपुट टैक्स क्रेडिट के निर्बाध प्रवाह एवं करों के दोहराव खत्म होने के कारण वस्तुओं का अंतिम मूल्य पहले की अपेक्षा कम हो सकती है।

राष्ट्र के लिए लाभ : इससे निर्यात एवं विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, अधिक रोजगार का सृजन होगा और इस प्रकार लाभप्रद रोजगार के साथ जीडीपी में वृद्धि होगी, जिससे आर्थिक वृद्धि भी तेज होगी। अंततः अधिक रोजगार एवं अधिक वित्तीय संसाधनों के सृजन द्वारा इससे गरीबी दूर करने में सहायता होगी।

GST के महत्व

लॉन्ग टर्म में जीएसटी (GST) पूरी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। जीएसटी लागू होने के बाद से बहुत सारी वस्तुओं के दामों में कमी दर्ज की गई है लेकिन पैट्रोलियम उत्पादों का अभी भी जीएसटी दायरे में न होना खलता है।

जीएसटी के लिए कौन रजिस्ट्रेशन कर सकता है?

  • वे लोग जिन्होंने GST लागू होने से पहले ही टैक्स सेवाओं के तहत रजिस्टर किया हुआ था
  • जिनके बिज़नेस का टर्नओवर 40 लाख रु. से ज़्यादा है (अगर आप उत्तर- पूर्वी राज्यों, जम्मू- कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य से हैं तो टर्नओवर न्यूनतम 10 लाख तक होना चाहिए)
  • सभी ई- कॉमर्स एग्रीगेटर
  • वे व्यक्ति जो ई- कॉमर्स एग्रीगेटर के ज़रिए सामान सप्लाई करते हैं
  • रजिस्टर्ड टैक्सेबल व्यक्ति के अलावा वह व्यक्ति जो विदेश से डेटाबेस एक्सेस और ऑनलाइन जानकारी को भारत में किसी व्यक्ति को ट्रांसफर करता है
  • वे व्यक्ति जो रिवर्स चार्ज़ मैकेनिज़्म के अंतर्गत टैक्स का भुगतान करते हैं
  • इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्युटर और सप्लायर के एजेंट

जीएसटी रजिस्ट्रेशन के प्रकार

जीएसटी अधिनियम के अंतर्गत, जीएसटी रजिस्ट्रेशन (GST Registration) अलग- अलग प्रकार का होता है जिनकी जानकारी नीचे दी गई है:

सामान्य टैक्सपेयर

भारत में अधिकांश बिज़नेस इसी कैटेगरी के अंतर्गत आते हैं। आपको एक सामान्य टैक्यपेयर बनने के लिए कोई डिपॉज़िट प्रदान करने की ज़रूरत नहीं है।

कैज़ुअल टैक्सेबल व्यक्ति

जो व्यक्ति दुकान या स्टॉल लगाना चाहता है, वह इस कैटेगरी को चुन सकता है। इसके लिए आपको एडवांस में कुछ राशि जमा करानी होगी जो कि स्टाल या दुकान के चालू होने के दौरान अपेक्षित जीएसटी लायबिलिटी के बराबर होनी चाहिए। इस कैटेगरी के तहत GST रजिस्ट्रेशन 3 महीनों के लिए मान्य रहेगा और बाद में इसे बढ़ाया भी जा सकता है।

कंपोज़िशन टैक्सपेयर

अगर आप जीएसटी कंपोजिशन स्कीम (GST Composition Scheme) लेना चाहते हैं तो इसके लिए अप्लाई करें। इस कैटेगरी के तहत आपको फ्लैट डिपॉज़िट करना होगा। इस कैटेगरी के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

नॉन- रेज़िडेंट टैक्सेबल व्यक्ति

यदि आप विदेश में रहते हैं, लेकिन भारत में रहने वाले व्यक्तियों को सामान सप्लाई करते हैं, तो इस प्रकार के GST रजिस्ट्रेशन का विकल्प चुनें। इसमें भी आपको जीएसटी रजिस्ट्रेशन एक्टिव होने के दौरान अपेक्षित जीएसटी लायबिलिटी के बराबर जमा राशि का भुगतान करना होगा। इस प्रकार के जीएसटी रजिस्ट्रेशन की अवधि आमतौर पर 3 महीने होती है (GST Registration Validity Period) , लेकिन इसे एक्सपायरी के प्रकार पर बढ़ाया जा सकता है।

GST रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन कैसे करें?

जीएसटी रजिस्ट्रेशन पूरा करने के लिए व्यक्तियों को नीचे दी गई प्रक्रिया का पालन करना होगा।

स्टेप 1: जीएसटी पोर्टल पर जाएं – https://www.gst.gov.in
स्टेप 2: ‘Register Now’ लिंक पर क्लिक करें जो ‘Taxpayers’ टैब के अंतर्गत होती है
स्टेप 3: ‘New Registration’ का विकल्प चुनें।
स्टेप 4: नीचे दी गई जानकारी भरें:

  •  ‘I am a’ ड्रॉप-डाउन मेनू के अंतर्गत, ‘Taxpayer’ का विकल्प चुनें।
  • संबंधित राज्य और जिले का चयन करें।
  • बिज़नेस का नाम दर्ज़ करें।
  • बिज़नेस का पैन दर्ज़ करें।
  • संबंधित बॉक्स में ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर दर्ज़ करें। दर्ज़ की गई ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर एक्टिव होना चाहिए क्योंकि उन पर ओटीपी भेजा जाएगा।
  • वह कैप्चा-कोड दर्ज करें जो स्क्रीन पर दिखाया गया है और ‘Proceed’ पर क्लिक करें।

स्टेप 5: अगले पेज पर, संबंधित बॉक्स में ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर पर भेजे गए ओटीपी को दर्ज करें।
स्टेप 6: जानकारी दर्ज करने के बाद, ‘Proceed’ पर क्लिक करें।
स्टेप 7: आपको स्क्रीन पर अस्थायी रेफरेंस नंबर (TRN) दिखाया जाएगा। टीआरएन को नोट कर लें।
स्टेप 8: फिर से जीएसटी पोर्टल पर जाएं और ‘Taxpayers’ मेनू के तहत ‘Register’ पर क्लिक करें।
स्टेप 9: ‘अस्थायी रेफरेंस नंबर (TRN)’ चुनें।
स्टेप 10: टीआरएन और कैप्चा संबंधी जानकारी दर्ज करें।
स्टेप 11: ‘Proceed’ पर क्लिक करें।
स्टेप 12: आपको अपनी ईमेल आईडी और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी प्राप्त होगा। अगले पेज पर ओटीपी दर्ज करें और ‘Proceed’ पर क्लिक करें।
स्टेप 13: आपकी एप्लीकेशन का स्टेटस अगले पेज पर दर्शाया जाएगा। दायीं तरफ ‘Edit’ वाले सेक्शन पर क्लिक करें।
स्टेप 14: अगले पेज पर 10 सेक्शन होंगे। सभी में प्रासंगिक जानकारी भरें, और ज़रूरी दस्तावेज जमा करें। अपलोड किए जाने वाले दस्तावेजों की लिस्ट नीचे दी गई है:

  • फोटो
  • बिज़नेस एड्रेस प्रूफ
  • बैंक स्टेटमेंट जैसे अकाउंट नंबर, बैंक का नाम, बैंक शाखा और IFSC कोड।
  • ऑथराइज़ेशन फॉर्म
  • टैक्सपेयर का कॉन्स्टिट्यूशन

स्टेप 15: ‘वेरिफिकेशन’ पेज़ पर जाएं और डिक्लेरेशन चेक करें, इसके बाद नीचे दिए गए किसी तरीके का उपयोग करके आवेदन सबमिट करें:

  • इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड (EVC) के ज़रिए। कोड रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा।
  • ई-साइन के ज़रिए। आधार कार्ड से जुड़े मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा जाएगा।
  • यदि कंपनियां रजिस्ट्रेशन कर रही हैं, तो डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) का उपयोग करके एप्लीकेशन सबमिट करनी होगी।

स्टेप 16: इसके बाद स्क्रीन पर एप्लीकेशन सबमिट होने का मैसेज दिखाया जाएगा। एप्लीकेशन रेफरेंस नंबर (एआरएन) रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी पर भेजा जाएगा।
स्टेप 17: आप जीएसटी पोर्टल पर ARN का स्टेटस चेक कर सकते हैं।

GST Registration: ज़रूरी दस्तावेज

जीएसटी रजिस्ट्रेशन का प्रक्रिया पूरी करने के लिए ज़रूरी दस्तावेज नीचे दिए गए हैं:

  • आधार कार्ड
  • पैन कार्ड
  • डिज़िटल साइन
  • बिज़नेस पता प्रमाण
  • बैंक अकाउंट स्टेटमेंट और कैंसल किया गया चेक
  • इनकॉर्पोरेशन सर्टिफिकेट या बिज़नेस रजिस्ट्रेशन प्रमाण
  • निदेशक या प्रमोटर का पहचान प्रमाण, पता प्रमाण और फोटो
  • अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता से बोर्ड रिजॉल्यूशन और लैटर ऑफ ऑथराइज़ेशन

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ऑनलाइन जीएसटी रजिस्ट्रेशन फीस

यदि आप ऑनलाइन जीएसटी रजिस्ट्रेशन (GST Registration) करते हैं, तो आपसे कोई फीस नहीं ली जाएगी। एक बार संबंधित दस्तावेज अपलोड हो जाने के बाद, रजिस्ट्रेशन कंफर्म करने के लिए SMS और ईमेल के ज़रिए एप्लीकेशन रेफरेंस नंबर (ARN) भेजा जाएगा।

जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन न करने या देर से रजिस्ट्रेशन करने पर जुर्माना

यदि आप टैक्स का भुगतान नहीं करते हैं या दी जाने वाली राशि से कम राशि का भुगतान करते हैं, तो जो जुर्माना लगाया जाता है वह देय राशि का 10% होता है। हालांकि, न्यूनतम जुर्माना 10,000 रुपये का होता है।

यदि आपने जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है और जानबूझकर टैक्स से बचने की कोशिश कर रहे हैं, तो आपसे जुर्माने के रूप में देय टैक्स राशि का 100% वसूला जाता है।

GST रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट डाउनलोड कैसे करें?

जीएसटी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट डाउनलोड करने की प्रक्रिया नीचे दी गई है:

  • स्टेप- 1: https://www.gst.gov.in/ पर जाएं।
  • स्टेप- 2: ‘Login‘ पर क्लिक करें।
  • स्टेप- 3: अगले पेज पर यूजर नेम और पासवर्ड डालें।
  • स्टेप- 4: ‘Login‘ पर क्लिक करें।
  • स्टेप- 5: इसके बाद ‘Services’ पर क्लिक करें।
  • स्टेप- 6: ‘User Services’ पर क्लिक करें।
  • स्टेप- 7: View/ Downolad Certificates’ का विकल्प चुनें।
  • स्टेप- 8: अगले पेज पर ‘Downolad’ पर क्लिक करें।

GST Registraion का स्टेटस कैसे चेक करें?

  • जीएसटी के ऑफिशियल पोर्टल https://www.gst.gov.in/ पर जाएं।
  • ‘Services’> ‘Registration’> ‘Track Application Status’ पर क्लिक करें।
  • अपना ARN नंबर और कैप्चा कोड दर्ज़ करें। इसके बाद ‘Search’ बटन पर क्लिक करें।
  • अंत में, आपको अपनी स्क्रीन पर निम्नलिखित में से कोई एक जीएसटी रजिस्ट्रेशन का स्टेटस प्राप्त होगा:
  1. प्रोविज़नल स्टेटस
  2. पेंडिंग फॉर वेरिफिकेशन स्टेटस
  3. वैलिडेशन अगेंस्ट एरर स्टटेस
  4. माइग्रेटेड स्टटेस
  5. कैंसल्ड स्टेटस

Conclusion

Gst के कुछ यह महत्वपूर्ण सभी को जान लेना चाहिए। देश के अर्थव्यवस्था के सुधार में इसका बहुत बड़ा योगदान होगा। कुल मिलाकर जीएसटी एक अच्छी व्यवस्था है इसमें कोई विचार करने वाली बात नहीं है, लेकिन ये अभी शुरूआती अवस्था में है और इसे अपनी पूरी क्षमता से काम करने में अभी थोड़ा और वक्त लग सकता है। तो ये रहा GST क्या है, प्रकार, विशेषताएं, लाभ और महत्व उम्मीद है समझ में आया होगा। संबन्धित अन्य लेखों का लिंक नीचे दिया गया है बेहतर समझ के लिए उसे भी पढ़ें;

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