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क्या करें.. जब आत्महत्या करने का विचार मन में आये

जब आत्महत्या करने का विचार मन में आये

डिप्रेशन ही नहीं और भी कई कारण है, जिसके वजह से लोगों के मन में आत्महत्या करने का विचार आते हैं। इस पोस्ट में जानेंगे ” क्या करें जब आत्महत्या करने का विचार मन आये।

ख़ुदकुशी यानि आत्महत्या जैसा बड़ा कदम लोग अचानक ऐसे ही नहीं उठता बल्कि वो इस बात पर निर्भर है कि मानसिक स्थिति कैसी है, व्यक्ति किस तरह के मानसिक उतार-चढ़ाव से गुजर रहा है। इसके पीछे कोई भी वजह हो सकता है, जैसे किसी को प्यार में धोखा मिला हो, पारिवारिक कलह,जरुरत से ज्यादा कर्ज, भविष्य को लेकर व्यर्थ चिंता, उम्मीद के विपरीत कोई भी बात का होना।

वर्तमान में तनाव के कारण सबसे ज्यादा लोग आत्महत्या कर रहे हैं। लोग इससे छुटकारा पाने के लिए सुसाइड का सहारा ले रहे हैं। निजी या कार्यक्षेत्र में तनाव हावी होने के कारण और इसका हल नहीं मिलने के चलते आत्महत्या की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

आत्महत्या करने का विचार

इस प्रकार की सभी बातों से लोगों का मन अशांत होता है, वो डिप्रेशन के शिकार होने लगते हैं और तब उन्हें लगता अब उनके लिए कोई रास्ता नहीं बचा। वे सोचते हैं क्या करें जब कोई रास्ता न दिखें। उनके मन में आत्महत्या का विचार आने लगता है। जोकि बिलकुल गलत है, यहीं पर वो गलती कर देते हैं उन्हें हिम्मत से काम लेना चाहिए। कोई भी समस्या हमेशा के लिए नहीं होती है। ये दुनिया बहुत बड़ी है पर वो सोचते उनका साथ देने वाला कोई नहीं है। तो चलिए इस पोस्ट में बिना देर किये जानते हैं – आत्महत्या का विचार आने पर क्या करें

लोग आत्महत्या के बारे में क्यों सोचते हैं?

दुनिया भर में हर साल 60 लाख लोग आत्महत्या करते हैं। इससे कई गुना अधिक लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 15 से 25 साल के युवाओं के बीच मौत की चौथी सबसे बड़ी वजह आत्महत्या है।

विशेषज्ञों की राय के मुताबिक़ जब व्यक्ति को किसी मुश्किल घड़ी से निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता है, तो वो अपना जीवन ख़त्म करने के बारे में सोचता है। बिज़नेस नहीं चलने, घर में झगड़े और आर्थिक तंगी के चलते लोग आत्महत्या करना चाहते हैं। लोग अवसाद, लाचारी और जीवन में कुछ नहीं कर पाने की हताशा के चलते आत्महत्या करते हैं. इसके अलावा आत्महत्या करने की मेडिकल वजहें भी हो सकती हैं।

आत्महत्या का विचार आने पर क्या करें

आत्महत्या करने वालों में पुरुषों की संख्या ज़्यादा होती है। हृदय संबंधी गंभीर बीमारियों में भी लोग आत्महत्या करते हैं, वहीं पारिवारिक रिश्तों में मुश्किलों के चलते महिलाएं ज़्यादा आत्महत्या करती हैं।

आत्महत्या का विचार आने पर क्या करें ?

जब इंसान को ऐसे बुरे विचार आने लगे तो समझ लीजिये की वह इंसान अत्यधिक परेशानी से गुजर रहा है। वह सोचता है उसका इस संसार में कोई सुनने वाला नहीं है। उसके समस्या का समाधान करने वाला कोई इंसान नहीं बचा। वह यह भी सोचता की उसके मर जाने के बाद समस्या ख़त्म हो जाएगी। लेकिन थोड़ी सी बुद्धिमानी उसके हर समस्या का समाधान भी निकाल सकता और अपना प्राण बिना संकट में डाले खुशहाल जीवन व्यतीत करने वाला इंसान बन सकता है। इन सभी महत्वपूर्ण बातों को अगर ध्यान रखा जाये तो काफी हद तक अपने समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।

क्या करें.. जब आत्महत्या करने का विचार मन में आये

# क्या करें जब आत्महत्या करने का विचार मन आये

यदि मन में सुसाइड का ख्याल आ रहा है तो किसी अपने और भरोसेमंद व्यक्ति के साथ बैठकर अपने मन की सभी बातें बोल दें। जी भर कर रोएं, ऐसा करने से आत्महत्या की चाह कम हो जाती है।

-यदि परिवार के साथ बैठकर कोई बात साझा नहीं कर पा रहे हैं तो किसी मनोवैज्ञानिक या कंसल्टेंट की मदद लें। उन्हें अपने मन की बात जरूर बताएं। ऐसा करने से दिल का बोझ हल्का होता है और कोई आपको आंकेगा इसका शक भी दूर होता है।

-खुद को अहमियत दें। इसके लिए आप दीवार पर एक कागज में अपनी अच्छाईयां लिखकर लगा दें।

-यदि आप बहुत लंबे वक्त से दोस्तों से नहीं मिले हैं तो फौरन उनसे मुलाकात करें। जो अच्छा लगता है वो करें, इससे दिमाग शांत होगा।

-सुबह-सुबह किसी एकांत जगह पर ताजी हवा में मॉर्निंग वॉक करने जाएं। कानों में हेडफोन लगाकर गाना सुनने की बजाय चिड़ियों, हवा में लहरा रहे पत्तों और पानी की आवाज को सुनें। इससे मन को शांति मिलती है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।

-जो भी आपका पसंदीदा खेल है उसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

-किसी जरूरतमंद या गरीब की मदद करें, इससे आपका मन हल्का महसूस करेगा और उनके चेहरे की मुस्कान आपके मस्तिष्क को शांति देगी।

-हमेशा याद रखें खुद से बढ़कर कोई नहीं। जन्म लेने, खाना खाने, सांस लेने, पानी पीने और खुश रहने का मकसद जीवन को जीना है। जिंदगी में कितने भी उतार-चढ़ाव क्यों ना आएं आत्महत्या करने का ख्याल कभी मन में मत आने दीजिए।

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# किसी दूसरे को कैसे दूर रखें आत्महत्या के विचार से

-यदि कोई आपके समक्ष खुदकुशी की बात कर रहा है या इशारों में ही बताने की कोशिश कर रहा है तो उनकी बात को तवज्जो दें, उनकी बातों को मजाक समझकर उनकी हंसी ना उड़ाएं।

-यदि कोई आपसे अपनी समस्या साझा कर रहा है तो उसे ध्यानपूर्वक सुनें और उन्हें एहसास करवाएं कि आप उन्हें हर समस्या से बाहर निकाल सकते हैं।

-आत्महत्या के बारे में सोच रहा व्यक्ति लंबे समय से परेशान रहने लगता है। एक सेकेंड में खुदकुशी का ख्याल हजार में से किसी एक व्यक्ति के दिल में ही आता है। इसलिए अपने करीबियों पर ध्यान दें कहीं वो किसी बात को लेकर इतना परेशान तो नहीं कि अपनी जिंदगी खत्म करने का सोच रहे हों।

-ऐसे लोगों के सामने उनकी सफलताओं की बातें फिर से दोहराएं, लोगों को उनका उदाहरण देकर समझाएं कि वो कितने मजबूत हैं। ऐसा करने से आत्महत्या का विचार खत्म हो जाता है और व्यक्ति समझ जाता है कि वो अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है इसलिए वो जिंदगी को सकारात्मक ढंग से जीने लगता है।

-यदि इनमें से कोई भी कोशिश कारगर साबित ना हो रही हो तो बिना देरी करे किसी काउंसलर या मनोवैज्ञानिक से संपर्क करवाएं। कई बार आत्महत्या की कोशिश एक मानसिक बीमारी बन जाती है जिसमें मनोचिकित्सक ही मदद कर सकता है।

आत्महत्या करने के बाद क्या होता है ?

जब कोई आत्महत्या कर लेता है तब मृत्यु के बाद क्या होता है, इस बात को लगभग सभी लोग जानते हैं, पर कुछ लोगों को इन धार्मिक बातों पर विस्वास नहीं होता , लेकिन यह बिल्कुल सत्य है। आज के विज्ञान इस ज्ञान से बहुत पीछे है। हमारे वेदों और पुराणों में जो भी लिखा गया है, उसमें आज का विज्ञान या तो कुछ चीज़ो को सही ठहराया या उसको सिद्ध न कर पाया। यानि अब तक कोई भी बात को को गलत साबित नहीं पाया है। यहाँ मैं आपको ज्यादा प्रवचन नहीं देना चाहता हूँ, बस आपको सही जानकारी देना उचित समझता हूँ।

हिन्दू धर्म के अनुसार आत्महत्या शब्द ही गलत है क्योंकि धमग्रंथो के अनुसार आत्मा को कोई नहीं मार सकता है। न ही कभी आत्मा मरता है। वह शरीर अथवा देह परिवर्तन करता है और आत्मा के शरीर परिवर्तन का समय निर्धारित होता है। अतः आत्महत्या शब्द गलत है इसको आप देह हत्या कह सकते हैं।

आत्महत्या के बाद लोगों के जीवन चक्र पुरे नहीं होते जिस वजह से उन्हें दूसरे शरीर की प्राप्ति नहीं होती है। जीवन चक्र हर सजीव प्राणी की पहले से तय होती है। उदाहरण के तौर पर एक फल के जीवन चक्र जब पुरे हो जाते हैं तब वो वृक्ष को छोड़कर खुद एक वृक्ष बनने की राह पर चल पड़ता है।

इंसान जब आत्महत्या कर लेता तो उसकी आत्मा इस धरती पर भटकती है और जीवित रहने पर जिस प्रकार उन्हें भूख लगती है, प्यास लगती है उसीप्रकार मरने के बाद भी यह सब होता है लेकिन शरीर नहीं होने के वजह से यह सब नहीं कर सकता। जिस कारण और दिक्कत होती है।

क्या आत्महत्या एक अपराध है ?

भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 309 में खुदकुशी करने की कोशिश करने को क्राइम माना गया है। ऐसा करने पर एक साल की जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। ऐसे में अगर कोई खुदकुशी करने की धमकी देता है, तो यह आईपीसी की धारा 503 के तहत अपराध माना जाएगा।

कैसे दूर रखें आत्महत्या के विचार से

आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है. अगर आप भी तनाव से गुजर रहे हैं तो भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 से मदद ले सकते हैं. आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए.

6 Comment on this post

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  2. इस पोस्ट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। मैं इसको अपने सोशल मीडिया साइट पर शेयर करूंगी। इसको पढ़ने के बाद बहुत कुछ सीखने को मिला। जीवन बहुत अनमोल उपहार है ईश्वर का।

  3. इस पोस्ट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। मैं इसको अपने सोशल मीडिया साइट पर शेयर करूंगी। इसको पढ़ने के बाद बहुत कुछ सीखने को मिला। जीवन बहुत अनमोल उपहार है ईश्वर का।

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