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मोती की खेती का बिजनेस | Pearl farming business Ideas in hindi

मोती की खेती का बिजनेस

Pearl farming business Ideas in hindi : आज के इस पोस्ट में हम मोती की खेती का बिजनेस के बारें में बात करेंगे। ये एक ऐसा बिजनेस है, जिसमें निवेश कम है और कमाई भरपूर होती है। अधिकांश बिजनेस अच्छे लागत के साथ ही शुरू किए जाते हैं। तब जाकर कुछ अच्छी कमाई हो पाती है। वहीं अगर आप छोटे धंधे की बात करें तो, छोटे धंधे से भी ज्यादा मुनाफा कमाए जा सकते हैं। लेकिन जानकारी के आभाव में लोग छोटे बिजनेस पर ध्यान नहीं देते हैं। मोती की खेती का बिजनेस एक ऐसा बिजनेस है, जहां निवेश की रकम महज 30,000 रुपए है और कमाई ढाई लाख रुपए महीना तक है।

अगर इसी कारोबार को बड़े लेवल पर शुरू करना है तो केंद्र सरकार की तरफ से 50 फीसदी सब्सिडी भी मिलती है। वहीं, जो खुद का बिज़नेस शुरू करना चाहते हैं  उनके लिए मोती की खेती (Pearl farming) काफी बढ़िया कारोबार है।

आज भी ज्यादा लोग इसे नहीं जानते, लेकिन, पिछले कुछ साल में इस पर फोकस बढ़ा है।गुजरात के इलाकों में इसकी खेती (Pearl farming business Ideas) से कई किसान लाखों रुपये कमा रहे हैं। वहीं, ओडिशा और बेंगलुरु में भी यह बहुत पॉपुलर है। तो दोस्तों इस पोस्ट में आगे “मोती की खेती का बिजनेस” के बारें में विस्तार से जानते हैं :

प्रस्तावना : मोती की खेती का बिजनेस

मोती की खेती में लागत कम और कमाई जबरदस्त है। इसके उत्पादन के लिए एक तालाब की जरूरत होगी। इसमें सीप का अहम रोल है। दक्षिण भारत और बिहार के दरभंगा के सीप की क्वालिटी काफी अच्छी होती है। आपकी लागत पर सरकार से 50 फीसदी तक सब्सिडी मिल सकती है। मोती की खेती के लिए राज्य स्तर पर ट्रेनिंग भी दी जाती है। अगर तालाब नहीं है तो इसका इंतजाम भी करवाया जा सकता है।

मोती क्या होता है | विकिपीडिया

मोती एक प्राकृतिक रत्‍न है, जो पानी में रहने वाले एक जीव द्वारा प्राप्त होते हैं। आदर्श मोती उसे मानते हैं जो पूर्णतः गोल और चिकना हो, किन्तु अन्य आकार के मोती भी पाये जाते हैं।

समुद्री जीव सीप दुनिया का एकमात्र ऐसा अद्भुत व अद्वितीय प्राणी है, जो शरीर में पहुँचकर कष्ट देने वाले हानिकारक तत्वों को बहुमूल्य रत्न यानी मोती में बदल देता है। यही नहीं समुद्री जीव-जन्तुओं के जानकार वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि यदि सीप न हो तो पृथ्वी पर एक बूँद भी स्वच्छ व मीठा पानी मिलना मुश्किल है।

सीप की यह भी विशेषता है कि यह प्रकृति से एक बार का आहार ग्रहण करने के बाद लगभग 96 लीटर पानी को कीटाणु मुक्त करके शुद्ध कर देता है और इसके पेट में जो कण, मृतकोशिकाएँ व अन्य बाहरी अपशिष्ट बचते हैं, उन्हें गुणकारी मोतियों में बदल देता है।

भारत समेत हर जगह हालांकि मोतियों की माँग बढ़ती जा रही है, लेकिन दोहन और प्रदूषण से इनकी संख्‍या घटती जा रही है। अपनी घरेलू माँग को पूरा करने के लिए भारत अंतरराष्‍ट्रीय बाजार से हर साल मोतियों का बड़ी मात्रा में आयात करता है।

अच्छी गुणवत्ता वाले प्राकृतिक मोती प्राचीन काल से ही बहुत मूल्यवान रहे हैं। इनका रत्न के रूप में या सौन्दर्य प्रसाधन ( गहने बनाने )के रूप में उपयोग होता रहा है।

उपयोग के आधार पर मोती के प्रकार

  • (1) केवीटी– सीप के अंदर ऑपरेशन के जरिए फारेन बॉडी डालकर मोती तैयार किया जाता है। इसका इस्तेमाल अंगूठी और लॉकेट बनाने में होता है। चमकदार होने के कारण एक मोती की कीमत हजारों रुपए में होती है।
  • (2) गोनट– इसमें प्राकृतिक रूप से गोल आकार का मोती तैयार होता है। मोती चमकदार व सुंदर होता है। एक मोती की कीमत आकार व चमक के अनुसार 1 हजार से 50 हजार तक होती है।
  • (3) मेंटलटीसू– इसमें सीप के अंदर सीप की बॉडी का हिस्सा ही डाला जाता है। इस मोती का उपयोग खाने के पदार्थों जैसे मोती भस्म, च्यवनप्राश व टॉनिक बनाने में होता है। बाजार में इसकी सबसे ज्यादा मांग है।

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मोती की खेती के लाभ (Benefits of pearl farming)

मोती पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो आपको अन्य लोगो से अलग करता है। वही लोग इस व्यवसाय को कर सकते है, जिनकी सोच कुछ अलग करने की हो।

मोती पालन से न सिर्फ आर्थिक लाभ होते हैं बल्कि यह पर्यावरण की दृष्टि से भी हितकारी है। मोती से जल प्रदूषण जैसी समस्या से निजात पाया जा सकता है, यह जल को साफ करने का काम करता है जिससे पानी को गंदा होने से बचाया जा सकता है।

आज जहां किसान बाढ़, सूखे जैसी समस्याओं से जूझ रहा हैं वहां मोती पालन, मछली पालन जैसे वाणिज्यिक खेती को पारम्पारिक खेती के साथ विस्थापित करके बढ़िया कमाई कर सकते हैं। मोती एक रत्न है जिसका उपयोग आभूषण बनने में किया जाता है जिसका बाज़ार में अच्छी कीमत है।

मोती की खेती करने का सहीं तरीका

मोती की खेती के लिए सबसे अनुकूल मौसम शरद ऋतु यानी अक्टूबर से दिसंबर तक का समय माना जाता है। कम से कम 10 गुणा 10 फीट या बड़े आकार के तालाब में मोतियों की खेती की जा सकती है।

  • सबसे पहले एक साफ़ तालाब का निर्माण करें।
  • उसके बाद उस साफ़ तालाब को साफ़ पानी से भरें।
  • तालाब का निर्माण करने से पूर्व मिटटी की जांच अवश्य करा लें। इससे आपको ये मालुम हो जाएगा की मोती की खेती के लिए जगह का चुनाव ठीक है की नहीं।
  • सीप का चयन बेहद सावधानी से करना है ध्यान रखें कि कोई भी सीप मृत न हो और सभी वयस्क ही हों।
  • उसके बाद मोती पालन के लिए तलाब में सीप डाले।
  • आपको ये भी मालूम होना चाहिए की सीपों का पालन किस प्रकार से किया जाना चाहिए।
  • मोती तैयार होने में लगभग 14 माह का समय लग जाता है। मोती की गुणवत्ता के अनुसार उसकी कीमत तय होती है।
मोती की खेती करने का सहीं तरीका

ध्यान देने योग्य : सही जानकारीं से ही आप इस खेती को कारगार बना सकते हैं अन्यथा बाद में समस्या आ सकती हैं। इसके लिए आप सरकार द्वारा निःशुल्क ट्रेनिंग में भाग ले सकते हैं, या किसी मोती के व्यापारी से सलाह मशविरा कर सकते हैं।

किसान मोती की खेती कैसे करते हैं

खेती शुरू करने के लिए किसान को पहले तालाब, नदी आदि से सीपों को इकट्ठा करना होता है या फिर इन्हे खरीदा भी जा सकता है। इसके बाद प्रत्येक सीप में छोटी-सी शल्य क्रिया के  उपरान्त इसके भीतर 4 से 6 मिली मीटर व्यास वाले साधारण या डिजायनदार बीड जैसे गणेश, बुद्ध, पुष्प आकृति  आदि डाले जाते है । फिर सीप को बंद किया जाता है। इन सीपों को नायलॉन बैग में 10 दिनों तक एंटी-बायोटिक और प्राकृतिक चारे पर रखा जाता है। रोजाना इनका निरीक्षण किया जाता है और मृत सीपों को  हटा लिया जाता है। अब इन सीपों को तालाबों में डाल दिया जाता है। इसके लिए इन्हें नायलॉन बैगों में रखकर (दो सीप प्रति बैग) बाँस या पीवीसी की पाइप से लटका दिया जाता है और तालाब में एक मीटर की गहराई पर छोड़ दिया जाता है। प्रति हेक्टेरयर 20 हजार से 30 हजार सीप की दर से इनका पालन किया जा सकता है। अन्दर से निकलने वाला पदार्थ नाभिक के चारों ओर जमने लगता है जो  अन्त में मोती का रूप लेता है। लगभग 8-10 माह बाद सीप को चीर कर मोती निकाल लिया जाता है।

मोती को किस प्रकार से निकालें

जितना जरुरी मोती का उत्पादन है उतना ही जरुरी सीपों में से मोतियों को बाहर निकालने की प्रक्रिया भी है इसे भी बड़ी सावधानी पूर्वक करना चाहिए। सीपों के pan अवधि 1.6 year से ले कर 2 साल तक होती है, और इसके पूरा होने पर सीपो को तालाबो से निकाल कर,उनके कोशिका या प्रजनन अंगो से मोती को निकाला जाता है।

मोती के बिजनेस में लागत और मुनाफा

  • लागत : इस बिजनेस को बड़े लेवल पर करने के लिए अगर लागत की बात करें तो काफी ज्यादा 2 से 5 लाख तक पहुंच सकता है। लेकिन अगर इस बिजनेस को छोटे स्तर पर करने के लिए ईट की टंकी बना कर कर सकते हैं।

तालाब (बड़े पैमाने पर) : कुल 1 – 3 लाख

टंकी (छोटे पैमाने पर) : कुल 30 – 50 हज़ार

  • मुनाफा : एक सीप लगभग 8 से 12 रुपए की आती है। बाजार में 1 मिमी से 20 मिमी सीप के मोती का दाम करीब 300 रूपये से लेकर 1500 रूपये होता है। आजकल डिजायनर मोतियों को खासा पसन्द किया जा रहा है जिनकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। भारतीय बाजार की अपेक्षा विदेशी बाजार में मोतिओ का निर्यात कर काफी अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। तथा सीप से मोती निकाल लेने के बाद सीप को भी बाजार में बेंचा जा सकता है। सीप द्वारा कई सजावटी सामान तैयार किये जाते है। जैसे कि सिलिंग झूमर, आर्कषक झालर, गुलदस्ते आदि वही वर्तमान समय में सीपों से कन्नौज में इत्र का तेल निकालने का काम भी बड़े पैमाने पर किया जाता है। जिससे सीप को भी स्थानीय बाजार में तत्काल बेचा जा सकता है। सीपों से नदीं और तालाबों के जल का शुद्धिकरण भी होता रहता है जिससे जल प्रदूषण की समस्या से काफी हद तक निपटा जा सकता है।

मोती उत्पादन की संपूर्ण जानकारी

मोती उत्पादन के लिए जितनी जरुरी उसके उत्पादन करने की विधि जानना है उतनी ही जरुरी उसके रख रखाव एवं सामग्री के चुनाव को भी जानना होता है। मोती उत्पादन की शुरुआत आप 10×10 फिट वाले तालाब से कर सकतें है। इससे वृहद् आकर भी हो सकता है एवं आप कम से कम 1000 सीपों के साथ मोती का उत्पादन शुरू कर सकतें है। हम आपको मोती के खेती के लिए सबसे सरल विधि को बतायेंगे आप अपने क्षमता के अनुसार इसको वृहद् आकार में भी कर सकतें हैं। इसके उत्पादन के लिए सबसे अनुकूल मीठा पानी होता है एवं अनुकूल मौसम अक्टूबर से दिसम्बर का होता है तो आइये जानते है इसके उत्पादन की प्रक्रिया को  –

How do pearls grow farming In Hindi 2022

01) सबसे पहले हमें सीपो को इक्कठा करना होता है। आप इनको नदियों तालाबो आदि से प्राप्त कर सकतें एवं इसे खरीद भी सकते है।बाजार में यह आपको 20 से 30 परन्तु आकार के अनुसार इसके कीमत में वृद्धि भी हो सकती है, मोती उत्पादन कने वाले सीप का मानक आकार 8 सेंटीमीटर होता है, इससे बड़े सीप को भी उपयोग में लाया जा सकता है ।

मोती उत्पादन की संपूर्ण जानकारी

02) जब सीप आपको प्राप्त हो जातें है तो इनको आप 10 से 15 दिनों तक आपको सर्जरी करने से पहले उसे उस पानी में रखना होता है, जिसमे आपको मोती का उत्पादन करना है। क्योंकि, जब आप सीप को प्राप्त करतें है, जो यह अलग वातावरण के पानी से आतें है, 10 से 15 दिनों में यह पानी के अनुकूल हो जातें है। इनमे से कुछ सीप मृत भी हो सकतें है, जो उस पानी के वातावरण में नहीं ढल पातें है एवं इतने दिनों के बाद इनकी सर्जरी करना भी आसान हो जाता है। क्योंकि, यह थोड़े ढीले पड़ जातें है।

03) तीसरे चरण में सीपों की सर्जरी की जाती है। सीपो को सर्जरी करने के लिए पहले इसे पानी से निकाल कर कुछ देर तक इसको एक ट्रे में थोडा पानी इसके मुहँ को ऊपर की ओर करके रखें। जिससे सीपों की सर्जरी आसान हो जाती है, क्योंकि यह अपना मुहँ खोल देतें है तथा इसका मुहँ आचे से खोलने के लिए आप किसी नुकले औजार का उपयोग कर सकतें है। किन्तु यह ध्यान से करना चहिये जिससे सीप के कोशिकाओं को कोई नुकसान न हों। इसका मुहँ ज्यादा से ज्यादा 8 मिलीमीटर तक ही खुलना चाहिए। इससे ज्यादा मुहँ खोलने पर सीप के मरने की संभावना होती है।

04) सीप का मुहँ खुल जाने के बाद इसके कोशिकाओं जो की सीप के दोनों तरफ होती है, उसमे छोटा कट लगाकर पॉकेट बनाया जाता है जिससे की इसमें बीड डाला जा सके। बीड को सावधानी से पॉकेट में डाला जाता है ओर यह ध्यान रखा जाता है की यह सीप के बहरी हिस्से को स्पर्श करे। हम सीप से दोनों ओर डिज़ाइनर बीड डाल सकतें है। डिज़ाइनर बीड के डिजाईन वाले पक्ष को कोशिका की तरफ रखेंगे एवं प्लेन पक्ष को सीप की तरफ,एक सीप से दो डिज़ाइनर मोती बनाया जा सकता है। और यदि गोल मोती बनानी हो तो वह एक ही संभव होती है। बीड डालने के बाद इसके मुह को बंद करके इसको 10 से 15 दिनों तक इसको एंटीबायोटिक वाले में रखा जाता है एवं रोजाना यह देखा जाता है की यह स्वस्थ है की नहीं। जीवित बचे सीपों को अलग कर इसे नायलॉन पैकेट्स में प्रति पैकेट प्रति सीप रखकर तालाब में 3 फिट तक की गहराई में लटका दिया जाता है।

05) तालाब में छोड़ने के बाद समय – समय पर इसका निरिक्षण करते रहना चाहिए तथा मरे हुए सीपों को अलग कर देना चाहिए।  इस  प्रकार 12 से 14 महीनो में डिज़ाइनर बीड से मोती तैयार जाती है। और गोल मोती के उत्पादन में दो से ढाई वर्षो का समय लग जाता है।

मोती निर्माण में बरते जाने वाली कुछ सावधानियां (Some precautions to be made in pearl construction)-

  1. इसके साथ कभी – कभी सीपों में हरी शैवाल लग जाती है वैसे तो यह इनका भोजन है किन्तु ज्यादा मात्र में होने पर यह सीपों को नुकसान पहुंचा सकती है।
  2. पानी में अमोनिया की मात्रा की भी जाँच करते रहना चाहिए। यदि अमोनिया बढ़ जाये तो 20% से 30% तक पानी को कम करके नया पानी मिला दें।
  3. पानी का तापमान 25 से 30 हो उससे ज्यादा होने पर इसके तापमान को कम करने के उपाय करने चाहिए एवं सीपों को 5 फिट गहराई तक डाल देना चाहिए ।जिससे इनपर तापमान बढ़ने का प्रभाव नहीं पड़ेगा एवं यह सुरक्षित रहेंगे।

इस प्रकार आप मोती की खेती से 30000 से 50000 हजार रु. व्यय करके वर्ष में 1 लाख से 1.50 लाख तक आय प्राप्त कर सकतें है। यह केवल 10 x 10 फिट के तालाब में प्राप्त किया जा सकता है अर्थात इसके लिए ज्यादा जगह की आवश्यकता नहीं है। स्थान एवं व्यय की मात्रा बढ़ा कर आप ज्यादा लाभ भी ले सकतें हैं।

Video: मोती के उत्पादन की पूरी जानकारी

निष्कर्ष

उम्मीद करते हैं, इस पोस्ट में आपको मोती की खेती के बारें में विस्तार से जानकारी मिली होगी। अगर आप इस बिजनेस आइडिया पर काम करना चाहते हैं। मोती उत्पादन के लिए आपको प्रॉडक्ट या ट्रेनिंग से संबंधित कुछ सवाल पूछना है, तो Comment करें। साथ ही यह Business ideas आपको कैसा लगा Comment box मे बताएं।

2 Comment on this post

  1. Great article bahut hi achha jankari diye hai bhai mai dusre ko advise dunga ke is blogs me aa ker bahut sari sahi jankari pa sakte hai or bahut kuch Sikh sakte hai q ki knowledge hi sabko successful banata hai or bahut kuch ker sakte hai appreciate your writing beautiful articles.

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