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Pulse Candy बनाने वाली कंपनी DS Group की सफलता की कहानी

Pulse Candy बनाने वाली कंपनी DS Group की सफलता की कहानी

Pulse Candy बनाने वाली कंपनी DS Group की सफलता की कहानी जानकर आप हो सकते हैं हैरान। इस कंपनी में इतनी अच्छी ग्रोथ कैसे हुई तथा एक रुपए की कैंडी बेचने वाली कंपनी आज करोड़ों रुपए की मालिक कैसे बन गई।

पल्स कैंडी अपने स्वाद को लेकर बच्चे तो बच्चे बड़े लोगों का भी पसंदीदा बन चूका है। सभी छोटे से बड़े दुकानों में यह मात्र रु.1 में मिलता है। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे पल्स कैंडी के बारे में बताना होगा।

लेकिन वही इस कैंडी को बनाने वाली कंपनी के बारे में कम लोग ही जानते होंगे। सबसे मजेदार बात इस कंपनी की ग्रोथ है, तो आइये जानते हैं पल्स कैंडी बनाने वाली कंपनी ds group की सफलता की कहानी (Pulse Candy Company Success Story in Hindi).

Pulse Candy बनाने वाली कंपनी DS Group की सफलता की कहानी

Pulse Candy Company Success Story in Hindi: – स्वादिस्ट पल्स कैंडी को बनाने वाली कंपनी भारत की जानी-मानी कंपनी है जिसका नाम डीएस ग्रुप हैं। इसके संस्थापक जिनका नाम सत्यपाल जी हैं। कहने को तो यह कंपनी ज्यादा पुरानी नहीं है परंतु इस कंपनी ने कम समय में अपनी पहचान पूरे भारत में बना ली है। डीएस ग्रुप द्वारा पल्स कैंडी को सबसे पहले गुजरात में फरबरी 2015 लॉन्च किया गया जो की केवल 8 महीने में 100 करोड़ तक का बिजनेस कर लिया! और वर्तमान में भी इस कंपनी के मार्केट का एक तिहाई हिस्सा इसी कैंडी का ही है।

इस बात को हम सभी जानते हैं कि बहुत ही कम कंपनी ऐसी होती है जो इतने कम समय में अच्छा Growth कर पाती हैं। इस कंपनी ने अपने इस प्रोडक्ट की गुणवत्ता और स्वाद पर ध्यान दिया, इसलिए आज बच्चे हो या बड़े हर कोई पल्स कैंडी खाना पसंद करता है। इस कैंडी के सफलता के बाद अब कंपनी विभिन्न स्वाद वाली कैंडी का निर्माण कर रही है और लगातार अपने व्यापार का विस्तार कर रही है। इसलिए काफी कम समय में इस कंपनी ने आज दूसरी कैंडी बनाने वाली कंपनीयों को पीछे कर दिया है। दाम कम होने के कारण हर वर्ग का व्यक्ति इसे खरीद सकता है, परिणामस्वरुप बच्चों के बीच यह सबसे पसंदीदा कैंडी बन चुकी है।

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पल्स कैंडी क्या है

पल्स कैंडी 1 रुपया में मिलने वाली एक टॉफी है। यह कैंडी देश के हर राज्य में सभी किराना एवं जनरल स्टोर में मिल जाती है। यह अपने स्वाद को लेकर सभी का पसंदीदा टॉफी बना, इस कैंडी का स्वाद थोड़ा मीठा तथा थोड़ा खट्टा है। यदि सरल शब्दों में कहे तो यह कच्चे आम से बनाई गई एक कैंडी है। इसका ऊपरी कवर हरे रंग का होता है। इसके अंदर स्वाद के लिए सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है। यह कैंडी अन्य कैंडी के मुकाबले स्वाद में अच्छी होने के साथ ही इसकी गुणवत्ता भी अच्छी है।

Pulse Candy बनाने वाली कंपनी सफलता की कहानी | Pulse Candy Company Success Story in Hindi

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कंपनी का इतिहास

जैसा कि हमने बताया कि पल्स कैंडी का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। डीएस ग्रुप ने फरवरी 2015 को गुजरात राज्य में सबसे पहले पल्स कैंडी का Trail किया। गुजरात में इसकी सफलता के बाद कंपनी ने फैसला लिया कि अब इसे पूरे भारत में बेचेंगे और उन्होंने यह निर्णय लेकर अपनी कैंडी को पूरे भारत में बेचना चालू कर दिया। इस तरह से केवल 5 से 6 सालों में इस कंपनी ने एक तिहाई कैंडी मार्केट पर अपना कब्जा कर लिया और बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण तथा स्वादिष्ट कैंडी बनाने वाली कंपनी बन गई।

इस कैंडी को बनाने वाली कंपनी का नाम डीएस ग्रुप है। इस कंपनी की शुरुआत 1929 में हुई थी। डीएस ग्रुप आम के स्वाद वाली कैंडी बनाने के लिए विख्यात है। यह कंपनी विभिन्न प्रकार की कैंडी बनाती है जो पूरे भारत में प्रसिद्ध है।

कंपनी की स्थापना

डीएस कंपनी की स्थापना की कहानी बहुत ही रोचक है, कंपनी के वर्तमान मालिक सत्यपाल जी के पिताजी द्वारा साल 1929 में चांदनी चौक नई दिल्ली में कंपनी की शुरुआत की गयी। सत्यपाल जी के पिताजी का नाम धर्मपाल जी था। बाद में इनके पुत्र ने इस कंपनी को खुद चलाने का निर्णय लिया और इस कंपनी का नाम डीएस ग्रुप रखा। इस तरह से यह कंपनी कार्य कर रही है। डीएस ग्रुप का पूरा नाम धर्मपाल सत्यपाल ग्रुप है।

कंपनी का मुख्य उद्देश्य

किसी भी कंपनी या बिज़नेस का मुख्य उदेश्य जो होनी चाहिए, उसी उदेश्य के साथ डी एस ग्रुप इतने वर्षो से काम करते आ रही है। कंपनी इस बात को हमेशा से अपने कर्मचारियों को बताते रहती थी कि हमारा कारोबार केवल इसकी गुणवत्ता और स्वाद पर ही निर्भर है। इसमें हम किसी प्रकार की मिलावट नहीं करेंगे और कंपनी ने हमेशा इस बात का ध्यान रखा कि इसके स्वाद और गुणवत्ता के साथ किसी प्रकार का समझौता ना करना पड़े।

Pulse Candy का निर्माण

जैसा कि डीएस कंपनी द्वारा साल 2015 में पल्स नामक कैंडी का ट्रायल गुजरात में शुरू किया गया। इसके लाजवाव टेस्ट के चलते लोग इस कैंडी को पसंद करने लगे। देखते ही देखते इस कैंडी की बाजार में शॉर्टेज होने लगी, लोग इसका पूरा डब्बा खरीदने लगे। इस बात को कंपनी देखकर बिना देर किये, इसका प्रोडक्शन बढ़ाने पर काम किया और पूरे भारत में इसकी मार्केटिंग शुरू कर दी, कुछ समय ऐसा भी आया जब फर्जी कंपनियों ने इसके डुप्लीकेट कैंडी बनाना चालू कर दिया, परंतु स्वाद के मामले में वह वास्तविक कैंडी से पीछे रही और इस तरह पल्स कैंडी में अपना वर्चस्व कायम रखा।

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Pulse Candy आईडिया कहां से मिला

लोगों के इंट्रेस्ट को जानने के लिए डीएस कंपनी ने एक रिसर्च किया। पता चला कि लगभग 50% भारतीयों को कच्चे आम का स्वाद ज्यादा पसंद आता है। यह रिसर्च कम्पनी द्वारा अपने मैंगो फ्लेवोर कैंडी के गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए किया गया। जब रिसर्च में यह पता चला कि लोगों को मीठे आम से ज्यादा थोड़ा खट्टा खाना अच्छा लगता है। कंपनी ने इस बात का फायदा उठाया और अपनी पल्स कैंडी नाम से एक अलग कैंडी का उत्पादन शुरू कर दिया। उसमें ऐसे स्वाद डालें, जो कैंडी को थोड़ा खट्टा और मीठा बना पाए। जैसा कि हम सब जानते हैं कच्चा आम खट्टा होता है यदि कंपनी केवल खट्टी कैंडी बनाती तो लोग उसे शायद ज्यादा पसंद नहीं करते।

पल्स कैंडी को सफलता कैसे मिली

Pulse Candy बनाने वाली कंपनी DS Group की सफलता की कहानी

कुछ साधारण सी दिखने वाली असाधारण चीज़ों के रहस्य उनके अन्दर छुपे होते हैं। जब आप पल्स को आंखें बन्द करके धीरे धीरे आनन्द लेते हुए चूसते हैं तो अपने क्लाइमेक्स पर पहुँचने पर उसके अंदर से एक विशेष द्रव पदार्थ फूटता है जो आपको एहसास दिलाता है कि पल्स टॉफी और आपकी जीभ की मुहब्बत अपने अन्जाम पर पहुँच चुकी है। वैसे सही में ऐसा कुछ नहीं है… कम्पनी ने टॉफी की मार्केटिंग अच्छी की है, इसलिये ज़्यादा बिकती है। (Pulse Candy बनाने वाली कंपनी DS Group की सफलता की कहानी)

पल्स कैंडी के सफलता के पीछे उसका स्वाद और कीमत है, जो लोगों को सबसे ज्यादा पसंद आती है। इस कैंडी ने सबसे पहले रिसर्च में भारत के लोगों का स्वाद जाना तथा बच्चों को समझा कि उन्हें किस तरह की कैंडी पसंद आती है। उसी को आधार बनाकर इस कैंडी ने अपने स्वाद में कच्चा आम का फ्लेवर डाला और उसमें कुछ मीठा पान भी डाला जिससे यह कैंडी कुछ ही समय में सफल हो गई। इस कैंडी ने अपनी गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए किसी प्रकार का मिलावट नहीं किया है।

पल्स कैंडी रैपर का रंग

पल्स कैंडी रैपर का रंग

क्या आप जानते हैं इस कैंडी का रैपर इतना आकर्षक कैसे बना ? जैसा कि आप जानते हैं कच्चा आम हमेशा हरा होता है। आम का हिस्सा हरे रंग का दिखाई देता है। यह रंग लोगों को आकर्षित करने लगा तथा अन्य कंपनी की कैंडी के मुकाबले बड़े तेजी से लोगों में फैलता गया। हरे और काले रंग लोगों के दिमाग में सीधे असर करते हैं, क्योंकि हरा रंग प्रकृति से मिलता है और काला रंग एक विशेस दृश्य बनाता है। यह दोनों कलर एक साथ मिलकर पल्स कैंडी का रेपर बनाते हैं। इसमें काला और हरा रंग आधे आधे भागों में बांटा गया है और दोनों के बीच में पल्स का नाम लिखा गया है, कुछ हिस्से में सफेद रंग का भी इस्तेमाल किया गया है और उसके ऊपर नारंगी रंग का भी उपयोग किया गया है। पल्स नाम सफेद और नारंगी रंग से लिखा गया है। (Pulse Candy बनाने वाली कंपनी DS Group की सफलता की कहानी)

पल्स कैंडी का प्रचार

यदि कोई चीज अच्छी है तो उसका प्रचार प्रसार अपने आप ही हो जाता है। उसके लिए किसी प्रकार की Campaigning करने की आवश्यकता नहीं होती है या किसी प्रकार के Advertisement चलाने की आवश्यकता नहीं होती है। शुरुआत में कंपनी ने Advertisement चलाएं, परंतु बाद में उन्हें कम कर दिया जब लोग पल्स कैंडी खाते थे तो उसका स्वाद इतना अच्छा था कि लोग स्वयं ही उसका प्रचार प्रसार करने लगे जैसे मित्र या अन्य किसी रिश्तेदार को इस कैंडी के स्वाद की तारीफ सुनने को मिलती थी और इस तरह से कैंडी का प्रचार होने लगा।

पल्स कैंडी की टैगलाइन

कंपनी अपने प्रोडक्ट के प्रचार के लिए कई प्रकार की टैगलाइन बनाती है जिससे उनको प्रचार करने में आसानी होती है। टैगलाइन बनाने से कंपनी की ब्रांडिंग हो जाती है। जिससे वह कंपनी टैगलाइन के माध्यम से विभिन्न टीवी, न्यूज़ पेपर, रेडियो आदि के माध्यम से प्रचार कर सकती है। वैसे ही पल्स कैंडी के लिए भी कंपनी ने एक टैगलाइन बनाई जो प्रचार करने के लिए सुविधा प्रदान करती है पल्स कैंडी की टैगलाइन ‘प्राण जाए पर पल्स ना जाए’ है।

कंपनी की मार्केट में पहचान और नाम

जब डीएस कंपनी ने अपना पहला ट्रायल गुजरात में किया तो लोग इसे अत्यधिक पसंद करने लगे क्योंकि इसमें किसी प्रकार का हानिकारक पदार्थ नहीं मिला था और लोगों को इसका स्वाद में कच्चा आम का स्वाद मिलता था। यदि देखा जाए तो कच्चा आम हर समय प्राप्त नहीं होता है, परंतु हम यह कह सकते हैं कि इस कैंडी के कारण साल भर कच्चे आम का स्वाद प्राप्त कर सकते हैं, इसीलिए यह लोगों के जुबान पर बस गया।

पल्स कैंडी की बढ़ती डिमांड

आज यह कैंडी भारत के लगभग हर राज्य में मिल जाती है क्योंकि इसका दाम इतना कम है कि कोई भी व्यक्ति आसानी से खरीद सकता है। इसके लिए इस कंपनी ने अलग-अलग स्वाद वाली कैंडी बनाई और इसकी डिमांड बढ़ती गई। कंपनी ने इस कैंडी के स्वाद के साथ-साथ इस कार्य पर भी बड़ा सुंदर बनाया है, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसकी डिमांड इसलिए बड़ी है कि क्योंकि इसमें खट्टापन के साथ साथ थोड़ा नमकीन और थोड़ा मीठा स्वाद भी है।

कंपनी का सालाना टर्नओवर

आज इस कंपनी का सालाना टर्नओवर यानि नेटवर्थ 6600 करोड रुपए हो चुकी है और यह सालाना 12 से 14% की दर से प्रति समय बढ़ रही है. 2015 में इसकी नेटवर्थ 300 करोड़ की थी।

पल्स कैंडी बनाने वाली कंपनी Contact Number

पल्स कैंडी बनाने वाली कंपनी नॉएडा में स्थित है जिसे आप 0120-4032200 पर कॉल करने कांटेक्ट कर सकते हैं.

आपको मैंने Pulse Candy बनाने वाली कंपनी DS Group की सफलता की कहानी के बारे में बताया। आपको इस सक्सेस स्टोरी में दी गयी जानकारी पसंद आयी हो तो कमेंट में बताये।

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FAQ

Q : पल्स कैंडी के फलेवर कौनकौन से हैं ?

Ans : पल्स कैंडी अब आम, अमरूद, संतरा, पाइनएप्पल तथा लीची फ्लेवर में उपलब्ध है।

Q : क्या पल्स कैंडी शरीर के लिए हानिकारक है ?

Ans : यदि अधिक मात्रा में पल्स कैंडी खाई जाएगी तो वह हमारे शरीर को हानि पहुंचा सकती है।

Q : पल्स कैंडी के संस्थापक कौन है ?

Ans : पल्स कैंडी के संस्थापक DS Group के सीईओ सत्यपाल है।

Q : पल्स कैंडी के अंदर क्याक्या होता है ?

Ans : पल्स कैंडी के अंदर आमचूर तथा सेंधा नमक होता है।

Q : पल्स कैंडी इतनी ज्यादा क्यों बिक रही है ?

Ans : पल्स कैंडी के सर्वाधिक बिकने के पीछे इसका स्वाद और कम कीमत है।

Q : डी एस ग्रुप का पूरा नाम क्या है ?

Ans : डी एस ग्रुप का पूरा नाम धर्मपाल सतपाल ग्रुप है।

Pulse Candy बनाने वाली कंपनी DS Group की सफलता की कहानी के बारे में आपका कुछ राय या प्रश्न हो तो कमेंट बॉक्स में पूछे।

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